आगनबाडी सैन्टरों को इन्डियन काउंसिल के क्रेचों में मर्ज करने के खिलाफ रोष रैली

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चण्डीगढ़। इण्डियन कांउसिल  फार चाइल्ड वैल्फैयर इम्पलाईज यूनियन चण्डीगढ़ के आह्वान पर चण्डीगढ़ के अलग अलग क्रैचों के कर्मचारियों  ने आगनबाडी को क्रैचों में मर्ज करने के खिलाफ ब्रिज  मार्केट सैक्टर 17 में रोष रैली की व इस फैसले के खिलाफ बिरोध जताया, ईस बिरोध प्रर्दशन में  फैड़रेशन आफ यू टी इम्पलाईज एन्ड वर्करज चन्डींगड़ के  साथ सम्बन्धित अलग अलग विभागों के कर्मचारियों ने  भी भारी गिनती में हिस्सा लिया, रैली में भारी गिनती में महिला कर्मी भी हाजिर थे। इसके साथ ही अभिभावकों व अलग अलग राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी रैली का समर्थन किया।  रोष रैली को संबोधित करते हुए यूनियन के महासचिव बिहारी लाल, फैड़रेशन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी,  वरिष्ठ उप प्रधान राजेन्द्र कटोच, रेखा शर्मा, हरकेश चन्द,  अमरीक सिंह, सुनीता शर्मा व अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के सचिव साथी एन डी तिवारी ने प्रशासन के फैसले की निन्दा करते हुए कहा कि चण्डीगढ़ में 1962 से इन्डियन काउन्सिल फॉर चाईल्ड वैल्फेयर के अधीन 56 के करीब क्रैच चल रहे हैं जिनमें चण्डीगढ़ के कर्मचारियों सहित अन्य कामकाजी लोगों के 6 महिने से 12 साल तक के बच्चे आते हैं जिनकी देखरेख के लिए 150 के करीब कर्मचारी रखे हैं जो सुबह 8.30 बजे से शाम 5.45 बजे तक लगातार डयूटी कर बच्चो की देखभाल, खाना खिलाना, साफ सफाई से लेकर कपड़े आदि बदलने, सुलाने, खेलने तक का सारा काम करते हैं व बच्चों को पूरी तरह घर का माहौल देते हैं, जिसके लिए कम्रचारियों को पहले यूटी कर्मचारियों के बराबर वेतन व भत्ते दिये जाते थे तथा अस्थाई तौर पर रखे कर्मियों को डी सी रेट दिया जा रहा था। संस्था को सरकार से ग्रान्ट मिलती थी, इसके अलावा प्रयास बिल्डिग का किराया, वूमैन होस्टल, मल्टीपरपज हाल, ओपन ऐयर हाल, हाबी क्लासेज व दिव्यांग बच्चों का ट्रिटमैंट आदि इन्कम के संसाधन हैं। आई.सी.सी.डब्लयू. के अधीन चल रहे क्रैच 2007 तक पूरी तरह स्वतन्त्र रूप से चल रहे थे। अपनी कार्यकारिणी के फैसले के तहत सुचारू रूप से सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। प्रशासक के सलाहकार, संस्था के प्रधान ग्रह सचिव उप प्रधान, उपायक्त व निर्देशक समाज कल्याण विभाग एक्स औफिसिओ मैम्बर हैं। 2007 में प्रशासन ने काउन्सिल की देखभाल की जिम्मेवारी समाज कल्याण को देकर उन्हें सस्था का अवैतनिक सचिव की जिम्मेवारी दे दी वहीं से संस्था की उल्टी गिनती शुरू हो गई कयोंकि संस्था में समाज कल्याण विभाग की दखलन्दाजी बढ़ती गई व कर्मचारियों के वेतन आदि सहूलियतों में कटौती शुरू होने लगी। 2016-2017 से तो पक्के कर्मचारियों के वेतन व अस्थाई कर्मचारियों के डी सी रेट में भी कटौती हो गई व बढोतरी पूरी तरह बन्द हो गई। पिछले 6-7 सालों से वेतन व डी सी रेट में एक नये पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं हुई। इस बीच समाज कल्याण विभाग ने संस्था के सभी आय स्रोत बन्द करा दिये व संस्था के संसाधनों को अन्य विभागों को हस्तांन्तरण करना शुरू कर दिया।

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