बिजली निजीकरण के खिलाफ सैकड़ों कर्मियों के साथ स्थानीय लोगों ने भी खोला मोर्चा

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चंडीगढ़ 8 फरवरी 2021- यूटी पावरमैन यूनियन चंडीगढ़ के आह्वान पर निजीकरण के खिलाफ चंडीगढ़ के बिजली कर्मियों ने आज विशाल रैली व किया।  कर्मचारी सुबह अपने अपने कार्यालयों में इकट्ठा हुए तथा वहां से समूहों में मार्च कर सैक्टर 17 में रैली में शामिल हुए। रैली में फैड़रेषन आॅफ यूटी इम्पलाईज एंड वर्करज चंडीगढ़, फेडरेशन आॅफ सैक्टर्स वैल्फेयर ऐसोसिऐषन, ग्राम पंचायतों के सदस्य, नौजवान सभा के पदाधिकारी तथा यूटी व एमसी के पैन्शर्नस ऐसोसिऐषन के पदाधिकारी व सीटू चंडीगढ़ व अन्य संगठनों के  पदाधिकारियों ने निजीकरण के खिलाफ हुंकार भरी।

रैली को संबोधित करते हुए यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने कहा कि आज की रैली बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ, बिजली अमैन्डमैंट बिल 2021 को रद्द करने, निजीकरण के दस्तावेज़ स्टैंडर्ड बिडिंग डाकूमैंट को निरस्त करने व विशेष रूप से सुचारु रूप से चल रहे तथा मुनाफ़ा कमा रहे चंडीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण रद्द कर गैर जरूरी व शंका से घिरा बिडिंग प्रोसेस खत्म करने के लिए किया गया। उन्होंने केन्द्र सरकार तथा चंडीगढ़ प्रशासन की तीखी निन्दा करते हुए कहा कि आखिर चंडीगढ़ प्रशासन सोने की चिड़िया (मुनाफ़ा कमा रहे बिजली विभाग) को थाली में रखकर मुनाफाखोरों को बेचने के लिए इतना आतुर क्यों है तथा किसके हितों की पूर्ति करने को बेचैन है? जनता तथा कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात क्यों किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अंतरिम रोक के बाद तो चंडीगढ़ प्रशासन इतनी हड़बडी में है कि उसे सही व गलत का भी आभास नहीं हो रहा है। प्रशासन की हड़बड़ी व जल्दबाजी का आलम यह है कि प्रशासन ने फास्टट्रेक के नाम पर तुरंत निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर 15 जनवरी को विज्ञापन दिया जिसमें सारी प्रक्रिया को तुरंत निपटाने का एलान किया।

जिसमें 2 फरवरी को प्री विड मीटिंग रखी थी लेकिन 22 जनवरी को सुधार विज्ञापन देकर 22 जनवरी को ही प्री-विड मीटिंग करली। जिसमें कई नियमों व प्रक्रियाओं को नजर अंदाज़ किया है। आखिर इतनी जल्दबाजी की वजह क्या है। प्रशासन की जल्दबाजी अपने आप में कई अहम सवाल खडे करती है जो उच्चस्तरीय जांच का विषय बन चुका है। उन्होंने माननीय उच्चतम न्यायालय के अंतिम फैसले का इंतजार करने पर जोर देते हुए प्रशासन पर आरोप लगाया कि इस सारी कार्यवाही में जनता तथा कर्मचारियों के हितों की तिलांजली दी जा रही है। कर्मचारियों की सेवाषर्तो पर सरकार ने अभी तक कोई नीति नहीं बनाई है न ही यूनियन के मांग पत्रों को अहमियत दी जा रही है। प्रशासन कंपनियों से तो लगातार बातचीत व मीटिंगे कर रही है लेकिन मुख्य स्टेक होल्डरों से कोई बातचीत नहीं करना चाहती जिनके हित दांव पर लगाये जा रहे हैं।

यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह ने कहा कि विभाग ने पिछले 5 सालों से बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं की है। 24 घंटे निर्विघ्न बिजली दी जा रही है। विभाग को वैस्ट यूटिलिटी का अवार्ड भी लगातार मिल रहा है बिजली की दर भी पड़ोसी राज्यों व केन्द्रषासित प्रदेशों से कम है। ट्रांसमिषन व डिस्ट्रीब्यूषन (टी एंड डी) लास भी बिजली मंत्रालय के तय मानक 15 प्रतिशत से काफी कम है। पिछले 5 साल से विभाग लगातार 150 करोड से 250 करोड़ तक मुनाफ़ा कमा रहा है। विभाग का वार्षिक टर्न ओवर 1000 करोड़ के करीब है जिस हिसाब से कम से कम कीमत 15000 करोड़  से अधिक बनती है लेकिन ताजुब्ब की बात है कि बोली सिर्फ 174 करोड की लगाई जा रही है। जमीन व इमारतों का किराया सिर्फ एक रुपया प्रति महिना , 157 करोड़ रुपया जनता का जमा एसीडी निजी मालिकों को देने का फैसला, 300 करोड़ से अधिक कर्मचारियों का फंड निजी ट्रस्ट के हवाले करने की बात की जा रही है जिन पर सिर्फ व सिर्फ कर्मचारियों के बच्चों का अधिकार है। सरकारी कर्मचारी की सेवाषर्तो को भी बदलने की कोषिष हो रही है। सिर्फ यह कहकर पल्ला झाड़ा जा रहा है कि तनख्वाह नहीं घटेगी (कर्मचारियों को मारा भी जा रहा है व रोने भी नहीं दिया जा रहा) प्रशासन की सारी कार्यवाही असंवैधानिक व अमानवीय है जिसे किसी भी हालत में बर्दास्त नहीं किया जा सकता। सीटू चंडीगढ़ के प्रधान कुलदीप सिंह, फाॅसवेक के प्रवक्ता आर एस गिल, फैड़रेन और यूटी इम्पलाईज के प्रधान रघवीर चंद व यूटी पावरमैन यूनियन के सयुंक्त सचिव अमरीक सिंह ने सरकार की निजीकरण की नीति पर करारा हमला करते हुए केन्द्र सरकार की तीखी निन्दा करते हुए आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार अपने वायदे से मुकर गई है। बिजली अमैंडमैंट बिल 2021  का 12 राज्यों तथा 2 केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा सीधा विरोध करने के बाद सरकार ने बिल को नये सिरे से तैयार कर कर्मचारियों, अभियन्ताओं , उपभोक्ताओं व अन्य स्टेक होल्डरों के ऐतराज व सुझाव लेने की बात की थी लेकिन ऐसा करने की बजाय सरकार इस बिल को बजट सत्र में ही पेश कर पारित कराना चाहती है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इलैक्ट्रीसिटी (अमैंडमैंट) बिल 2021 में विद्युत वितरण के लिए मौजूदा लाइसेंसिंग प्रणाली को समाप्त करने का प्रावधान है।

विद्युत वितरण के लिए लाइसेंस समाप्त करने का अर्थ होगा कि निजीकरण की आंधी से विद्युत वितरण का कार्य मनाने ढंग से अपने पसंदीदा कार्पोरेट घरानों और यहां तक की अकुषल छोटे ठेकेदारों तक को दिया जाएगा। विद्युत वितरण जैसे अति संवेदनशील और तकनीकी दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य को निजी घरानों और ठेकेदारों को इस तरह सौंपा जाना ना ही विद्युत उद्योग के हित में है न ही उपभोक्ता के हित में है, न ही कर्मचारियों के हित में है और न ही राष्ट्र हित में।  इलैक्ट्रिसिटी (अमैंडमैंट) बिल 2021 के जरिए थोपे जा रहे निजीकरण के इस स्वरूप का विरोध करने के लिए पूरी एकजुटता और फौलादी एकता के प्रदर्शन का समय आ गया है। निजीकरण के नाम पर सार्वजनिक संपत्ति मात्र एक रूपए की लीज पर निजी घरानों और ठेकेदारों को सौंपने की साजिश को सफल नहीं होने देना है।

वाटर सप्लाई के नेता राजेन्द्र कटोच, हाॅर्टीकल्चर के प्रधान हरकेष चंद, बिजली कर्मचारियों के आगू सुखविन्द्र सिंह, पान सिंह, गुरमीत सिंह, कश्मीर ंिसंह तथा रणजीत सिंह चंडीगढ़ प्रशासन व केन्द्र सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को सस्ती व निर्विघ्न बिजली सप्लाई दे रहे तथा मुनाफ़े में चल रहे चंडीगढ़ के बिजली विभाग का गैर कानूनी व नियमों व बिजली एक्ट की धज्जियाँ उडाकर किये जा रहे बिडिंग सिस्टम को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि सरकार अपने किये फ़ैसलों को ही लागू न करके कर्मचारियों व उपभोक्ताओं के हितों पर कुठाराघात कर रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार संसद में सिर्फ घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्रों को ही बेचने का ढोल पीट रही है उसके विपरीत सस्ती बिजली देकर भी मुनाफ़ा कमा रहे बिजली विभाग को थाली में रखकर निजी मुनाफाखोरों को बेच रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार वितरण में कम्पीटिषन की बात कह रही है लेकिन अगर 100 प्रतिशत हिस्सा एक ही मालिक को बेच दिया जाता है तो कम्पीटिषन का क्या औचित्य रह जाता है। सरकार बार बार अपने ही नीतियों में बदलाव की बात कर भ्रम फैलाना बंद करें। उन्होंने कहा कि विभाग पिछले 5 साल से मुनाफ़े में चल रहा है। ट्रांसमिषन व वितरण लाॅस 10 प्रतिशत से नीचे है जो बिजली मंत्रालय के लक्ष्य 15 प्रतिशत से काफी कम है। विभाग का वार्षिक टर्नओवर 1000 करोड़ के करीब है। जिस हिसाब से कुल संपती /जायदाद करीब 15000 करोड़  से भी अधिक बनती है लेकिन विभाग की बोली 174 करोड़ लगाई जा रही है जो सीधी लूट है।

रैली को बिहारी लाल, भीमसेन, हरपाल सिंह, विश्राम, एम.सुब्रमण्यम, राजेन्द्र आदि फैड़रेषन के नेताओं के अलावा पैन्षर्नस एसोसिऐशन के मनमोहन सिंह, उजागर सिंह मोही, मानक सिंह, राजकुमार आदि अलग अलग संगठनों के नेताओं ने भी सम्बोधित करते हुए संघर्ष तेज करने का आह्वान किया तथा प्रषासन को चेतावनी दी कि अगर बिडिंग प्रक्रिया खत्म न की तो बिजली कर्मचारी शीघ्र ही संयुक्त विशाल रैली करने के बाद हड़ताल का आह्वान करेंगें जिस कारण आम जनता को होने वाली परेशानी के लिए प्रशासन का जन-विरोधी फैसला जिम्मेदार होगा।

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