AAP नेता प्रदीप छाबड़ा की चिट्ठी से यूटी चंडीगढ़ के प्रशासनिक तंत्र में मचा हडकंप! राष्ट्रपति से की एडवाइजर व होम सेक्रेटरी की शिकायत  

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कुमार मधुकर

चंडीगढ 6 Aug 2023। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदीप छाबड़ा ने यूटी चंडीगढ़ के एडवाइजर और होम सेक्रेटरी के खिलाफ देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजकर शिकायत की है। उन्होंने शिकायत पत्र में कहा है कि उच्च अधिकारियों ने करदाताओं का पैसा सरकारी यात्राओं में लग्जरी सुविधाओं के लिए पानी की तरह बहाया है। इसलिए चंडीगढ़ में तैनात नौकरशाहों द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग की उच्चस्तरीय जांच की जाए। छाबड़ा के इस शिकायत के बाद से ही चंडीगढ़ प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मच गया है।
शिकायत पत्र में प्रदीप छाबड़ा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कहा कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के एक जागरूक नागरिक के रूप में पत्र लिख रहा हूं। साथ ही विश्वास दिलाता हूं कि इस पत्राचार के माध्यम से जो मामला ध्यान में लाया जा रहा है, उसमें मेरा कोई निहित स्वार्थ नहीं है। उन्होंने आगे लिखा है कि यह आम जनता की उस मेहनत की कमाई के दुरुपयोग के संदर्भ में है जिसे करदाता विकास और इसी तरह के उद्देश्यों के लिए राज्य को देते हैं। दुर्भाग्य से चंडीगढ़ में इस पैसे का उपयोग बाहरी उद्देश्यों और अफसरों द्वारा अपने निजी हितों के लिए किया जा रहा है, जिसका शहर या चंडीगढ़ के नागरिकों की भलाई या विकास से कोई संबंध नहीं है।

राष्ट्रपति को लिखे में पत्र में आप नेता छाबड़ा ने कहा है कि यह पत्राचार आईएएस अधिकारी जितेंद्र यादव की यात्रा के उल्लेख के बिना अधूरा होगा, जो 2018 में चंडीगढ़ नगर निगम के कार्यवाहक आयुक्त के रूप में अपनी भूमिका के दौरान स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार में भाग लेने के लिए इंदौर गए थे। इस दौरान इस आईएएस अधिकारी ने रेडिसन होटल नामक एक प्रसिद्ध लग्जरी होटल में रहना चुना। इस तीन दिन की यात्रा पर 20,160 रुपये का खर्च आया। हालाँकि यह राशि तीन दिन की अवधि के लिए प्रति दिन 2,250 रुपये तक सीमित थी। हवाई किराया और कुल खर्च सहित पुरस्कार प्राप्त करने में यादव की भागीदारी के लिए करदाताओं के 27,150 रुपये का उपयोग किया गया था। उन्होंने कहा कि यह उल्लेख करना अप्रासंगिक नहीं होगा कि आम करदाताओं ने यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक के पूर्व सलाहकार मनोज परिदा की यात्रा के दौरान भी 9,40 लाख रुपये का खर्च वहन किया था। इसके अलावा नागरिकों ने उक्त अधिकारी के यूके वीजा के बिल के वित्तपोषण का बोझ भी उठाया, जिसकी राशि 61,915 रुपये थी।

शिकायत पत्र में यह भी दावा किया गया है कि यात्रा पर इस तरह के वास्तविक खर्च के अलावा एक और हैरानी की बात जो सामने आई, वो ये थी कि यात्राओं को रद्द करने पर किया गया खर्च। उपलब्ध जानकारी के अनुसार प्रशासक के सलाहकार द्वारा यात्रा टिकट रद्द करने से करदाताओं को 45,000 रुपये के टिकटों पर 60,113 रुपये की भारी रकम चुकानी पड़ी। ये वही करदाता हैं जो छोटी रकम बचाने के लिए महीनों पहले यात्रा की योजना बनाते हैं। इन्हीं अधिकारी की 13 नवंबर से 3 दिसंबर 2019 तक की एक अस्पष्ट यात्रा से सरकारी खजाने को 1ण्01 लाख रुपये का नुकसान हुआ। एक अन्य आईएएस अधिकारी विनोद कावले, जिनके पास सचिव संस्कृति, खाद्य और आपूर्ति का प्रभार है ने सरकारी खजाने पर लगभग 6ण्43 लाख रुपये का बोझ डाला। वर्ष 2019 में उनके द्वारा की गई संयुक्त राज्य अमेरिका की एक यात्रा का कुल खर्च लगभग 2ण्38 लाख रुपये था। यह रकम फ्लाइट टिकट और सामान शुल्क पर खर्च की गई।

छाबड़ा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी, जिन्हें लोगों के कल्याण के लिए काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे स्वयं उन्हीं नागरिकों की मेहनत की कमाई को बर्बाद कर रहे हैं। देश में भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण बनाने की भावना के तहत इन अधिकारियों की ओर से की गई वित्तीय अनियमितताओं की विशेष उच्च स्तरीय जांच का आदेश देने का अनुरोध किया है। एक निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच समय की मांग की  और इन जारी अवैध कृत्यों को तुरंत रोकने और इस देश के कर.भुगतान करने वाले नागरिकों की मेहनत की कमाई को बचाने के लिए आपके स्तर पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।

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