चंडीगढ़ प्रशासन नाकाम, स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा देने में विफल: कांग्रेस

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चंडीगढ़ स्वास्थ्य सलाहकार समिति की जल्द से जल्द हो बैठक: छाबड़ा

चंडीगढ़ 28 अप्रैल 2020, शहर में कोरोनोवायरस मामलों की संख्या में भारी वृद्धि और उनमें से अधिकांश स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों के होने के कारण चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने चंडीगढ़ स्वास्थ्य सलाहकार समिति की बैठक बुलाने की अपील की है ताकि डाक्टरों, नर्सों, वार्ड बॉय अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों, हाउसकीपिंग स्टाफ, सुरक्षाकर्मियों आदि की सुरक्षा को लेकर बात हो सके। छाबड़ा ने कहा कि प्रशासन द्वारा डॉक्टरों को आवास प्रदान किया जा रहा है और यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन अन्य नर्सिंग, पैरामेडिकल और हाउसकीपिंग या सुरक्षा कर्मचारियों के लिए ऐसी व्यवस्था नही की गई है।

छाबड़ा ने कहा कि हेल्थकेयर टीमों और उनके परिवारों के इन पैरामेडिक और सहायक कर्मचारियों को कोरोना वायरस से जुड़ी सुरक्षा प्राप्त नही है। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से इन कर्मचारियों के लिए भी आवास की व्यवस्था करने की अपील की, ताकि उन्हें अपने घरों में वापस न जाना पड़े और वे अपने परिवार को संक्रमण के खतरे में न डाल सकें। छाबड़ा ने आगे कहा कि उन्होंने पहले भी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए मास्क, गाउन और पीपीई किट की कमी का मुद्दा उठाया था  जोकि आगे भी उनकी सुरक्षा के लिए लड़ते रहेंगे क्योंकि वे कोरोना वायरस के खिलाफ हमारे  सबसे आगे लड़ने वाले योद्धा हैं और सबसे अच्छे सुरक्षा उपकरणों के पाने के हकदार भी हैं, ताकि वे संक्रमण से खुद सुरक्षित रहकर रोगियों और समाज की सेवा करते रहे और  अपने स्वयं के स्वास्थ्य की चिंता से मुक्त रहें।

छाबड़ा ने शहर में हो रही निवासियों की स्क्रीनिंग के तरीके पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ कांग्रेस ने लॉक डाउन की शुरुआत से चंडीगढ़ प्रशासन के सभी फैसलों का समर्थन किया है और एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के रूप में सकारात्मक अपने सुझाव के साथ गलतियों पर भी आलोचना की है।  लेकिन, ऐसा लगता है कि सलाह लेने के वक्त प्रशासन के कान बहरे हो जाते है। छाबड़ा ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन विपक्षी दलों या पूर्व सांसदों के साथ किसी भी तरह की सलाह-मशविरा करने में नाकाम रहा है, जिसके पास एक बड़ा अनुभव है और वह दूरगामी नीतियों पर सलाह देने के मददगार हो सकता है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के नाते, हमने अपने सुझावों को लगातार यूटी प्रशासन को पत्र लिखे हैं।

इसके अलावा, छाबड़ा ने कहा कि उन्हें कार्यकर्ताओं से और निवासियों से भी जानकारी मिली है, कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा की जा रही स्क्रीनिंग महज सर्वे व जनगणना जैसी है बल्कि  सर्वेक्षण में एक उचित चिकित्सा इतिहास और लक्षण की जांच जैसे कुछ भी नही है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि सर्वेक्षण के दौरान जांच किए जा रहे लोगों की संख्या और प्रश्नों और आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाए।  उन्होंने पिछले 2 दिनों में सामने आए कई मामलों पर आश्चर्य व्यक्त किया, अगर स्क्रीनिंग ठीक से की गई होती।

छाबड़ा ने यह भी कहा कि अगर लोगों और मामलों का पता लगाया जा रहा है तो यह पाया गया है कि बड़े पैमाने पर सामुदायिक परीक्षण क्यों नही शुरू किए गए हैं केवल कुछ मुट्ठी भर परीक्षण ही क्यों किए गए हैं।  उन्होंने कहा कि कांग्रेस जोर-शोर से परीक्षण को तेज करने पर जोर दे रही है, ताकि तह तक मामलों का जल्द पता लगाया जा सके और उन्हें जल्द अलग कर उनका इलाज किया जा सके ताकि बीमारी के फैलने पर रोक लग सके।  इसके अलावा क्या प्रशासन एनजीओ, आरडब्ल्यूए के स्वयंसेवकों और राजनीतिक दलों से भी सामुदायिक स्क्रीनिंग के लिए मदद ले सकता है। छाबड़ा ने कहा कि उन्हें अभी भी उम्मीद है कि चंडीगढ़ स्वास्थ्य सलाहकार समिति की बैठक जल्द से जल्द बुलाई जाएगी ताकि सभी को विश्वास में लेकर आगे की रणनीति बना आम सहमति बनाई जा सके।

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