देशव्यापी हड़ताल का चंडीगढ़ शहर में जबरदस्त असर

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चंडीगढ़ 8 जनवरी 2020 – सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फैड़रेशन के फैसले के तहत फैड़रेशन ऑफ यूटी इम्पलाईज एण्ड वर्करज चण्डीगढ़ के आह्वान पर  आज 8 जनवरी 2020 को यूटी एम सी व अन्य विभागों के हजारों कर्मचारियों ने मुकम्मल हड़ताल की। इस हड़ताल में बिजली, पानी, बागवानी, सड़क, बाल कल्याण परिषद, सिटको, वीडीओ, एमसी मनीमाजरा, कैपीटल प्रोजैक्ट, सफाई कर्मचारी आदि 18 यूनियनों से सम्बन्धित हजारों कर्मचारीयों ने हिस्सा लिया। चण्डीगढ़ के बिजली कर्मचारियों की हड़ताल रात 12 बजे शुरू हो गई थी जो आज रात 12 बजे तक चलेगी।  हड़ताल के दौरान किसी भी किस्म का कोई काम नहीं किया गया। सरकार ने कुछ वैकल्पिक इंतजाम किये थे लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल के कारण उनके इंतजाम धरे के धरे रह गये तथा अधिकारी कुछ ठेकेदारों को साथ लेने के बावजूद सप्लाई चलाने में नाकामयाब रहे। कर्मचारी सुबह अपने अपने दफ्तरों में इक्कठे हुए तथा दफ्तरों के सामने नारेबाजी के बाद फैडरेशन के आह्वान पर शिवालिक होटल, सैक्टर 17 में की जा रही रैली में शामिल हुए। भारी बारिश के बावजूद कर्मचारी रैली में डटे रहे। बाद में शिवालिक होटल से भारी संख्या में जलूस लेकर सभी ट्रेड यूनियनों  द्वारा ब्रिज मार्किट सैक्टर 17 में की गई संयुक्त रैली में भी शामिल हुए।
हड़ताली कर्मचारियों की रैली को सम्बोधित करते हुए फैडरेशन आफ यूटी इम्पलाईज एण्ड वर्कर्स चण्डीगढ़ के महासचिव तथा अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय सचिव गोपाल दत्त जोशी ने भारी संख्या में हड़ताल कर रैली में शामिल कर्मचारियों के सामने हड़ताल के मुद्दों को रखते हुए कहा कि यह हड़ताल  -2004 के बाद भर्ती कर्मचारियों पर लागू न्यू पैन्शन स्कीम रद्द कर पुरानी पैंशन लागू करने, डेलीवेज, वर्कचार्ज कान्ट्रेक्ट, आउटसोर्स हर प्रकार के कर्मचारियों  को पक्का करने, माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले अनुसार बराबर काम के आधार पर बराबर वेतन देने, स्थाई प्रकृति के कार्यो पर ठेकाकरण बन्द करने व नियमित भर्ती शुरू करने, कम से कम वेतन 21000/- प्रति महीना देने व सभी के लिए रू 10000/- प्रति माह पेंशन देने, श्रम कानून में मजदूर विरोध्ी संशोधन रद्द करने, विभागों में खाली पड़ी पोस्टें भरने, बिजली विभाग का किया जा रहा निजीकरण रद्द करने, मृतक कर्मियों के आश्रितों को पंजाब पैट्रन पर नौकरी देने भर्ती व प्रमोशन  के नियमों में संशोधन करने, कान्ट्रेक्ट कर्मियों को आउटसोर्स एजेंसियों की बजाय दिल्ली की तर्ज पर सीधे विभागों द्वारा रखने, यूटी इम्पलाइज सैल्फ फाइनैंसिंग हाउसिंग स्कीम के सफल उम्मीदवारों को उस समय की दरों पर ही मकान देने व ड्रा में असफल रहे कर्मियों के लिए भी स्कीम शुरू करने आदि मांगों को लागू कराने के लिए की जा रही है।
फैड़रेशन के प्रधान रघबीर चन्द ने इस जबरदस्त हड़ताल के लिए कर्मचारियों को सलाम करते हुए इसे केन्द्र सरकार की कर्मचारी व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ हल्ला बोल अभियान करार देते हुए कहा कि सरकार ने पिछले साढ़े 5 सालों में कई कानून बिना पार्लियामैंट में लाये अध्यादेश ला कर बदल दिये जिनमें प्लानिंग कमीशन को खत्म करना, फिक्स टर्म अपाइन्टमेंट शुरू करना, ग्रैचुटी व अप्रैन्टिशिप एक्ट खत्म करना आदि कई उदाहरण है। सार्वजनिक क्षेत्रा का अंधाध्ुंाध निजीकरण किया जा रहा है। 2 करोड़ हर साल रोजगार देने का वायदा करने वाली सरकार युवाओं को पकाड़ै बेचने की बात कह रही है। उन्होने जोर देकर कहा कि सरकार शीघ्र ही ठेकेदारी सिस्टम खत्म कर स्थाई नियुक्तियां शुरू करे। एनपीएस के मुद्दे पर सत्ताधरी पार्टी के लोगो द्वारा कर्मचारियों को गुमराह करने की बात करते हुए कहा कि सरकार बहानेबाजी करने की बजाय न्यू पैंशन स्कीम खत्म कर पुरानी पैंशन बहाल करे। उन्होने समूह कर्मचारी वर्ग को सरकार की नीतियों के खिलाफ विशाल तथा तीखे संघर्ष का आह्वान किया।
हड़ताली कर्मचारियों की रैली को फैड़रेशन के वरिष्ठ उप प्रधान राजेन्द्र कटोच, भीमसेन, ध्यान सिंह, रेखा शर्मा संयुक्त सचिव अमरीक सिंह, हरकेश चन्द, नसीब सिंह, बिहारी लाल के अलावा गुरमीत सिंह, परमजीत सिंह दलेर सिंह (बिजली), हरपाल सिंह चैन सिंह (पानी), विशराम, राजेन्द्रन (यूटीरोड), एम सुब्रहमण्यम, रामबख्श (एमसी होल्टीकल्चर), वजिन्द्र कुमार, काली चरण (यूटीबागबानी), पी. कामराज, राम बहादर (एमसी रोड़), सुनीता शर्मा (बाल कल्याण परिषद्), प्रेम लाल (सिटको), सरवण सिंह (एम मीटर सैक्शन) आदि कर्मचारी नेताओं ने सम्बोंधित करते हुए सरकार की निन्दा की तथा कर्मचारियों को 8 जनवरी 2020 की हड़ताल को लामिशाल कामयाब करने  के लिए कर्मचारियों का हार्दिक अभिनंदन किया साथ ही चण्डीगढ़ प्रशासन द्वारा आऊटसोर्स पर भर्ती कर्मचारियों को ठेकेदार बदलने पर नौकरी से निकालने की तीखी निंदा की तथा आरोप लगाया कि ठेकेदार जो ळमड के मार्फत ठेका लेकर हजारो रूपये लेकर नये कर्मचारियों को भर्ती कर रहे है तथा 10-15 साल से काम कर रहे कर्मचारियों को मनमर्जी से निकाल रहे है परंतु प्रशासन इसमें दखल देने की बजाए  तमाशबीन बना हुआ है यहां तक की ठेकेदार कर्मचारियों को प्रशासन द्वारा तय समय 7 तारीख तक वेतन देने में भी असफल रहे हैं जिसके खिलाफ शीघ्र ही लड़ाई का ऐलान किया

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