बेला मनोज मोदी ने कहा महिलाओं को कम आंकने की भूल न करें!

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नवनियुक्त राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेला मनोज मोदी से संजीव शर्मा की बातचीत 
दिल्ली/चंडीगढ़ 13 दिसंबर 2019। महिलाओं के सबसे अग्रणी संगठन वूमेन पावर सोसायटी की ओर से चंडीगढ़ की रहने वाली बेला मनोज मोदी को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है। सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोनिका अरोड़ा ने बताया कि मोदी पहले बहुत से सामाजिक संगठनों से जुड़ी हुई थीं। वूमेन राइट्स को लेकर बेला मनोज समाज के लिए लगातार काम कर रही हैं। इस प्रकार से आज के समय में बदलते समाज और बेटियों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के संगठन में मजबूत टीम की जरूरत है। ताकि महिलाएं मजबूत होकर बलात्कारियों से लड़ सके और पीड़ित महिलाओं की मदद भी कर सके। अरोड़ा का दावा है कि बेला मनोज को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाते हुए उन्हें गर्व हो रहा है कि बेला मनोज जैसी साहसी और जुझारू महिला सोसायटी के साथ जुड़ी हुई है। इस दौरान राष्ट्रीय सलाहकार डॉक्टर रेणु अरोड़ा ने उन्हें नियुक्ति पत्र सौपकर इस महत्वपूर्ण पद की शपथ दिलाई। साथ ही संस्था सदस्यों ने बेला को शुभकामनाएं दी। ध्यान रहे कि सोसायटी इससे पहले भी महिलाओं को जागरूक कर उन्हें स्वावलंबी बनाने में सहयोग कर रही है और आने वाले वक्त में सशक्त बनेगी।
इस संबंध में जब नव नियुक्त राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेला मनोज मोदी से चंडीगढ़ न्यूज एक्सप्रेस ने बात की तो उन्होंने बताया कि समाज और परिवार में महिलाओं की स्थिति में धीरे धीरे सुधर रही है। इसका श्रेय महिलाओं में आ रही जागरूकता को जाती है। बेला मनोज के अनुसार वूमेन पावर जैसी सोसायटी के प्रयासों के कारण ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है। बेला का कहना है कि परिवर्तन शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक के आंकड़ों में दिखाई भी देता है। बेला मनोज मोदी का यह भी मानना है कि इसका मतलब यह नहीं है कि समाज और महिलाओं परिवर्तन लाने का काम पूरा हो गया है। अभी भी महिलाओं को मजबूत, साहसी और पैरों पर खड़ा करने के लिए बहुत काम बाकी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की हाल ही में जारी रिपोर्ट में महिलाओं की स्थिति को लेकर कुछ खुशखबरी हैं। पर कुछ चिंताएं भी हैं।
बेला ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सर्वेक्षण में प्रजनन, बाल और शिशु मृत्युदर, परिवार नियोजन पर अमल, मातृ और शिशु स्वास्थ्य, पोषण, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का विवरण है। बढ़ती भागीदारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, शिक्षण संस्थानों तक लड़कियों की पहुँच लगातार बढ़ रही है। एक दशक पहले हुए सर्वेक्षण में शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी 55.1 प्रतिशत थी जो अब बढ़ कर 68.4 तक पहुंच गयी है। यानी इस क्षेत्र में 13 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गयी है। बेला मनोज के अनुसार
बाल विवाह की दर में गिरावट को भी महिला स्वास्थ्य और शिक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।  कानूनन अपराध घोषित किये जाने तथा सामाजिक तौर पर लगातार जागरूकता फैलाने के बावजूद बाल विवाह का चलन अब भी बरकरार है। वैसे संतोष की बात है कि इसमें गिरावट भी आ रही है। 18 वर्ष से कम उम्र में शादी 2005-06 में 47.4 प्रतिशत से घट कर 2015-16 में 28.8 रह गयी है। इस कमी का सीधा फायदा महिला स्वास्थ्य के आंकड़ों पर भी पड़ा है।
बेला मनोज का यह भी दावा है कि महिलाएं आज किसी भी काम में पुरूषों से कम नहीं है। समाजसेवा के क्षेत्र में भी महिलाएं आगे आई हैं। उन्होंने मुकाम हासिल किए हैं। इसलिए महिलाओं को कोई कम आंकने की भूल नहीं करनी चाहिए। मोदी ने कहा कि महिलाओं की राजनीति में भागीदारी, समाज में टूटते हुए घरेलू रिश्तों को मजबूत करना, महिलाओं के स्वास्थ्य एवं खान-पान, बोझ नहीं हमारी धरोहर हैं बुजुर्ग।

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