कुमार मधुकर
चंडीगढ़ 13 जनवरी 2023। इस बार भाजपा के लिए मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव आसान नहीं होगा। शहर की राजनीतिक पार्टियों में अंदर ही अंदर चल रहे घमासान, जोड़ तोड़ और गठजोड़ से बड़े बड़े राजनीतिक पंडित भी हिले पडे हैं, असमंजस में हैं। यही कारण है कि सभी राजनीतिक पार्टियों के पार्षदों ने फिलहाल शहर छोड़ दिया है। सभी पार्टियों के पार्षद अपनी अपनी पार्टी की सरकार के इलाके में डेरा डालते हुए ठंड में गर्मी का एहसास कर रहे, जनता को करा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ पार्षद मोरनी इलाके में, कुछ कसौली में तो कुछ पंजाब के जंगली इलाके में अपनी अपनी सरकार की मेहमान बाजी कर रहें हैं। कुल मिलाकर इस बार हर हाल में “खेला होबे” का इंतजार सभी को है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार तो “खेला होबे” निश्चित है। ध्यान रहे कि मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव 17 जनवरी को होने वाला है।
इन सबके बावजूद राजनीतिक पंडितों के बीच यह जबरदस्त चर्चा कांग्रेस पार्टी की रणनीति को लेकर है। क्योंकि इस बार कांग्रेस की रणनीति को लेकर भाजपा व आप दोनों ही आशंकित हैं, क्योंकि चर्चा में कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस पार्टी मेयर चुनाव में हिस्सा लेगी और जरूर लेगी। भले ही कांग्रेस पार्टी ने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनावों में अपने उम्मीदवारों को नहीं उतारा हो। समझा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के सभी पार्षद 17 जनवरी को मेयर चुनाव में नाटकीय ढंग से एमसी हाउस में प्रवेश करेंगे। साथ ही कांग्रेस पार्टी के सभी छह पार्षद चुनाव में हिस्सा लेकर भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। इसी को लेकर कहा जा रहा है कि इस बार मेयर चुनाव में “खेला होबे” करीब करीब निश्चित है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा के लिए राह इसलिए भी आसान नहीं है, क्योंकि पूर्वांचलियों ने आवाज बुलंद किया था कि किसी पूर्वांचली को मेयर उम्मीदवारी के लिए कम से कम एक बार मौका जरूर दें। इसके बाद किसी भी पार्टी खासकर भाजपा ने इस पर ज़रा भी विचार नहीं किया। इसको लेकर भी कुछ में गुस्सा है। इसलिए भी भाजपा के लिए राह आसान नहीं है।
एमसी हाउस में अंक गणित का हिसाब किताब देखें तो भाजपा और आप की 14.14 सीटें हैं। भाजपा के पास सांसद खेर का एक वोट अलग से है। वहीं शिरोमणि अकाली दल का एक वोट भी निर्णायक साबित हो सकता है। यदि सभी पार्टियों के पार्षद चुनाव में हिस्सा लेते हैं तो मेयर पद के लिए 19 वोट बहुमत साबित करने के लिए चाहिए। दूसरी तरह नामांकन के दिन चंडीगढ़ भाजपा प्रधान अरुण सूद साफ कर चुके हैं कि मेयर चुनावों में तीनों सीटें भाजपा की ही जीतेगी। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम गर्ग भी अपनी पार्टी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं। इन सबके बावजूद कांग्रेस इस बार बड़ी गेमचेंजर के रूप में 6 काउंसलर के साथ उतर सकती है। कुल मिलाकर एमसी हाउस में इस बार “खेला होबे” निश्चित है। ध्यान रहे कि पिछले साल मेयर चुनावों में कांग्रेस ने वोटिंग से वॉक आउट कर लिया था। मेयर चुनाव के पहले से ही कांग्रेसी पार्षद राजस्थान सरकार का अतिथि बने हुए थे।