चंडीगढ़। औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 स्थित गौशाला की हालत बद से बदतर होने की खबर मिडिया में छपने के बाद से गौशाला चलाने के लिए कई लोग आगे आ रहे हैं। गायों से श्रद्धाभाव रखने वाले लोगों ने नगर निगम से मांग की है कि यदि एमसी इंफ्रा स्ट्रक्चर तैयार करने की जिम्मेदारी उठाए, तो इस गौशाला को खुद ही चलाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि इस गौशाला को चलाने के लिए श्रीकृष्ण गो सेवा ट्रस्ट के कई पदाधिकारी एमसी के बड़े अधिकारियों से मिलकर प्रस्ताव भी रखा है। हालांकि एमसी ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है कि इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर गौशाला किसी को देंगे भी या नहीं। ध्यान रहे कि इस गौशाला में अव्यवस्था के कारण प्रतिदिन तीन से पांच गायों की मौत हो जाती है। इसके बाद भी नगर निगम हाथ पर हाथ रखकर चुप बैठा हुआ है।
श्रीकृष्ण गो सेवा ट्रस्ट से संपर्क करने के बाद ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेश कुमार ने बताया कि प्रधान योगराज बंसल के अलावा अन्य कार्यकारिणी सदस्यों के साथ एमसी में आला अधिकारी मिले थे। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट को जानकारी मिली थी कि यहां गायों की मौत हो रही है। इसके बाद ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी के साथ एमसी के बड़े अधिकारी से मिलकर गौशाला देने की बात कही थी। वाइस प्रेजिडेंट नरेश कुमार के अनुसार ट्रस्ट की ओर से कहा गया था कि यदि एमसी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर के दे, तो खुद ही गौशाला चलाने को तैयार हैं। वाइस प्रेजिडेंट का कहना है कि जब से गायों की मौत को लेकर खबर छपी है, तब से ट्राई सिटी के लोग ट्रस्ट के संपर्क में आ रहे हैं। साथ ही एमसी से इस गौशाला को लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। ताकि अव्यवस्था के कारण हो रही मौत से गायों को बचाया जा सके।
ध्यान रहे कि मिडिया में गौशाला में प्रतिदिन तीन से पांच गाय की मौत की खबर आई थी। ध्यान रहे कि उक्त गौशाला के लिए एमसी की ओर से कागजों पर खानापूर्ति की जा रही है। मौत के द्वार पर खड़ी गायों के इलाज के लिए एमओएच की ओर से कुछ भी व्यवस्था नहीं है। हालत यह है कि गायों को दिनरात कींचड़ में खड़ा रहना पड़ता है। वहीं चारे की कमी से गायें तड़पती रहती है। खबर छपने से पहले कभी भी गायों के इलाज के लिए डाक्टरों की टीम नहीं आई थी, जिस कारण से गायों की लगातार मौत हो रही है। इस गौशाला में जरूरत से ज्यादा गायों और नन्दियों को ठूंस दिया गया है। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में चारा भी उपलब्ध नहीं है। गायों को बैठने के लिए पर्याप्त टीन शेड भी उपलब्ध नहीं है। गौशाला में सफाई की हालत इतनी बदतर है कि गोबर, पेशाब और पानी पूरा दलदल है। इसी दलदल में कमजोर गायें फंसकर मर जाती है।